कहे अनकहे किस्से कहानी

यह जो होते हैं किस्से कहानी  कभी सोचा है, तुमने कहां से आते होंगे? क्यों पढने लगते हैं इन्हें हम इस कदर ?इन में खोकर समझने लगते हैं।

जाने अनजाने खुद को इनका हिस्सा ये हमेशा हमारी जिंदगी में शामिल तो रहते हैं, लेकिन इनके भाव अलग होते हैं।

तुम्हें याद है पहली बार अपना स्कूल जाना टीचर का poem, story सुना कर मन बहलाना। धीरे-धीरे जब हम बड़े होते हैं तो यह सब काफी हद तक हम में शामिल हो जाते हैं। हम सीखने लगते हैं। खुद को शब्दों में ढालना और बनाने लगते हैं। खुद भी धीरे-धीरे किस्से और कहानियां, कभी दर्द में डूबे गीत तो कभी गम के समंदर में डूबी शायरियां, बन जाते हैं।

खुद ही इनका किरदार हम और निभाने लगते हैं इन में छुपे कहे अनकहे  भावों को कभी रोकर कभी हंस कर कभी गा कर पढने लगते हैं।

हम मन के भावों को बनाकर किस्से कहानियां।

कहे अनकहे किस्से कहानी

कुछ नया

बेइंतेहा पढ़ लू.. 😍 😘 आ तुझे आज की रात, बेइंतेहा पढ़ लू.. कि कहीं तू सुबह लौट ना जाए.. दोनों हाथो से पकड़ लू.. कि सबसे पहले तेरे, बहुत करीब आकर तेरा सजदा करू.. फिर नज़रो से छूकर, साँसों में अपनी आज फिर शामिल कर लू .. आ तुझे आज की रात, बेइंतेहा पढ़
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बीस साल बाद ....👩 👨 पार्ट - 3 हां चलो..... बड़ी दूर गहराईयों से आवाज आती महसूस हुई थी उसकी। जैसे वापस ही न जाना चाहता हो। चाहकर भी नहीं पूछ सकी थी नेहा उससे उसने उसे क्यों रोका था? क्या था क्या नहीं ? अचानक ही उसने नेहा को देखा और पूछा.. 'तु खुश
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बाजार बातों का.. 🙂 🙃 दुनिया फ़लक है, दोस्तों.. बाजार बातों का, यहाँ के शोर में, खामोशियाँ.. कोई नहीं सुनता। चिटकते - टूटते शीशे भी कुछ.. आवाज़ करते हैं, मगर मासूम टूटे दिल की .... चुप्पी कोई नहीं सुनता। बहुत गहरा समुन्दर है.. ये मन अपना .. रहे बेकल, सदाएं दर्द की अपने ही अन्दर..
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तुम बिन जिया जाए ना.. 😧 😟 एक आखिरी बार फिर सीने से लगा लो तुम... ना फिर कोई शिकायत करेंगे.. बस तेरी खुशी की दुआ  करेंगे.. एक बार फिर से अगर पुकारोगे तुम.. तो कुछ और सुनने की ख्वाहिश ना होगी हमारी । ये तो फैसला है किस्मत का.. इसमे खता कहाँ है तुम्हारी,
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आँसू .. 😪 😥 आँखे जब-जब कुछ कहती हैं, अविरल धाराएँ बहती हैं, पलकों पर मोती सजते हैं, जिनको हम आँसू  कहते हैं। ✍️..... #आँसू #मुक्तक #लेखनी
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बिछड़ गये सब यार पुराने.. 😑 😧 जो हमराज हुआ करते थे.. चाहे कितने भी हम उदास होते.. वो हसॉ दिया करते थे, अब तो यादें है, वो भी भूल  जाने लगी है, खुश ना रह सकोगे हम बिन.. वो पहले  ही कहा करते थे, जिंदगी ऐसा भी मोड  लेगी.. कहां हमने ये सोचा था,
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पहचान कौन? 🤔🤔🤔🤔 कुकुरमुत्ते की तरह उगते जा रहे हैं, मेढकों की तरह टर्रा रहे हैं, बरसाती मच्छरों की तरह बीमारी बनते जा रहे हैं, और दीमक की तरह सब कुछ खाते जा रहे हैं। . . . . . . . पहचान कौन? 🤔 🤔 🤔 🤔 पहचानने वाले को कोरोना वैक्सीन  सबसे पहले
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आखिरी अहसास.. 😑 😇 कितने तोहफे दिए तुने मुझे, सब के सब खास हैं.. कितनी परवाह.. कितनी चाहत.. कितनी बेखुदी.. कितनी कशिश.. है इन सब.. में? बस नहीं दिया तो वह आखिरी अहसास  है.. जिसकी चुभन बिना दिए भी चुभती है हर पल... मैं महसूस करना चाहती हूं.. वो अहसास भी पूरी तरह.. बिलकुल  वैसे
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बचपन की हर बात निराली.. 😍 😘 बचपन  है फूलों की डाली कितना सुन्दर प्यारा बचपन जितना सुन्दर  फूलों का मन टिमटिम-टिमटिम करता है ये तारों जैसा रौशन  है ये कैसे कहूं मैं इनकी कहानी आसमा  से पूछें उनकी जुबानी हर बाग के कोमल  फूल के जैसा मन में बसे विश्वास के जैसा गिर-गिर कर
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कुछ खास

आँगन की दो चिड़िया.. 😊 🙃 एक आँगन की दो चिड़िया एक दिन जिन्हे उड़ जाना है अपने अपने  घर जाकर उन्हें एक नया जहाँ बसाना है जिस बाबुल के घर में बचपन  बीता वो एक दिन पराया हो जाना है जिस माँ के आँचल  को ओढ़ के बड़ी हुई वो एक दिन दूर  हो
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