” सुषमा स्वराज”
भारतीय स्त्रियों को परिभाषित करती एक नेत्री।
किसी देश की संस्कृति उसकी आत्मा होती है।
भारतीयता से ओतप्रोत एक नारी जो हमारी संस्कृति को हर प्रकार से खुद में समाहित किये हो वह देश की अन्य स्त्रियों के लिये प्रेरणा होती है।
आदरणीया “सुषमा स्वराज” जी मेरे विचार में इसका उपयुक्त उदाहरण हैं।
नारीवाद की परिकल्पना जिसमें फूहड़ता या कुत्सित मानसिकता का कोई स्थान नहीं था उसे सुषमा जी ने जिया है।“उन्मुक्तता” का वास्तविक पर्याय उन्होंने ही सिखाया है।
भारत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिये उन्होंने किसी प्रकार के आधुनिकीकरण को आत्मसात नहीं किया अपितु भारतीय परिधानों में ही भारतीय संस्कृति को सबके समक्ष प्रदर्शित किया है।
उनका अद्भुत ज्ञान और भाषाओं पर पकड़ हमारे देश की स्त्रियों की वास्तविक व्याख्या है।
उन्होने दुनिया को ये दिखाया कि कैसे अपनी संस्कृति और परम्पराओं के साथ भी पुरुषों का नेतृत्व पूरी कुशलता और चातुर्य से किया जा सकता है।
बिना किसी कुविचार के पुरुष सत्ता को चुनौती देते हुए एक स्त्री होकर स्त्री के मूल्यों की रक्षा करना सुषमा जी ने ही सिखाया है।
आधुनिकता की ओर बढ़ती आज की वो स्त्रियाँ जो नारीवाद को गलत तरीके से प्रस्तुत करके स्वयं ही नारियों के अपमान का कारण बन रही हैं उन्हें सुषमा जी से बहुत कुछ सीखना चाहिये।
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