बीस साल बाद ….👩 👨 पार्ट – 1

20 साल चंद महीने  या कुछ और ज्यादा या कम होंगे। हां, इतना वक्त तो गुजर ही गया था । जब नेहा  ने आखिरी बार उसे देखा था। शालू – रितु का भाई  बस इतना ही जानती थी नेहा  उसे, कॉलेज आते जाते कई बार दिख जाता था वह, यह अलग बात थी। उसे अपने पापा की जगह जॉब मिली थी। वक्त से पहले जिम्मेदारी कंधों पर आ गई थी।

विधवा मां, दो बहने, भाई सब की जिम्मेदारी  बस यही पता था नेहा  को उसके बारे में, उसका नाम क्या था नहीं पता था आज तक भी।

बस वही निक नेम पता था। कभी जरूरत ही नहीं महसूस हुई थी पूछने की। ना कभी कोई ऐसा ख्याल आया। फिर एक दिन पता चला रूठ कर चला गया है वो घर से कहीं?

फिर अचानक नेहा  की शादी  तय हो गई जो कि कहीं दूर दूर तक भी नहीं होनी थी। वह सब हो गया जो कभी सोचा समझा  ही नहीं था, 3 महीने बाद पता चला उसकी शादी  भी हो गई है जो कि एक नॉर्मल  सी बात थी नेहा के लिए।

इत्तेफाक ……हाँ इत्तेफाक ही था  इतने सालों बाद नेहा  का शादी में जाना। उस शादी में जाने का तो सालों पहले ही तय हो चुका था, लेकिन कौन-कौन जा रहा है, कौन-कौन नहीं जा रहा है

यह जानना नेहा  के लिए कोई जरूरी बात नहीं थी। बस एक फोरमल्टी  थी जो पूरी करनी थी।

मीलों दूर लंबा एक सफर तय करना था। सभी ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर पहुंच चुके थे।

अचानक जानी पहचानी एक औरत दिखी । उसके साथ एक स्मार्ट सा आदमी जिसे नेहा पहचान ही नहीं पाई। मगर ट्रेन में चढ़ते चढ़ते जब उसके नाम से वो औरत उसे पुकार रही थी तब यादों की धुंध छंट गई।

हां… याद आ गया था।

वह नेहा को …..वह चेहरा जो भूल  ही गई थी। इतने सालों में कभी गलती से भी ख्याल  ही नहीं आया। पलट कर देखा था। नेहा ने उसे यूं ही वह भी शायद पहचानने की कोशिश कर रहा था उसे ।

फिर धीरे-धीरे सब लोग मिल गए जो वर्षों बाद मिले थे। सब बहुत खुश थे। एक दूसरे को देख कर कोई नाम से पहचान रहा था कोई शक्ल से। कोई मजाक बना रहा था।

ट्रेन भी रफ्तार पकड़ चुकी थी। सब बातों में तल्लीन थे। सब की बर्थ पास पास थी। बस एक वह था जो बेखबर था, सब से। सबको लगा विदेश  से आया है तो शायद घमंडी हो गया है,

लेकिन उसके चेहरे की रंगत  कुछ और ही थी। सुबह से शाम…. शाम से रात हो गई थी। सब एक दूसरे के साथ मशगूल थे।

उसे छोड़कर …..और उसकी मम्मी की निगाहें बार-बार नेहा  पर आकर ठहर रही थी। कोई सवाल  सा बनकर । मगर वो अंजान थी उन सवालिया निगाहों से …हाँ बैचेन जरूर हो रही थी उन घूरती नजरो से …….

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हाँ, मैं वही हूँ

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Author

अनिता रोहल मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं।उनके पति और बेटे में ही उनकी पूरी दुनिया बसती है। किताबें, कहानियां पढ़ने की शौकीन अनिता को धीरे-धीरे कविता,कहानियाँ लिखने में भी रुचि हो गयी। आज अपने इसी शौक के चलते वो एक उभरती हुई लेखिका हैं।

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