तुम रूठे नहीं थे।

रूठे होते तो मान जाते।

मैं मना लेती तुम्हें, मगर तुम तो एक ही दिन में बदल गए थे।

इतनी दूर चले गए जितना करीब थे।

कितनी बार मेरी खामोशी को बड़े हक से ‘हां’ मान लेते थे।

कितने सवालों के जवाब तुम खुद ही तय कर लिया करते थे।

हां करती थी मैं तुम से प्यार उतना ही जितना आज भी करती हूं।

तुम हमेशा यही कहते थे, खामोशी का मतलब ‘हां’ होता है।

मैं हमेशा वही …..हां करना चाहती थी ।

जिसे तुम खुद से ही मान लिया करते थे।

पहली बार हुई मेरे माथे की उस खूबसूरत सी छुअन को मेरा बस चलता तो कहीं छुपा कर रख लेती मैं ,

उन चंद लम्हों में मैंने देखी थी तेरी चहकती आंखें जो जाने कितनी बातें कहे जा रही थी।

पहली बार तेरी बाहों में सिमट कर तेरे सीने से लग जाना दुनिया की सबसे महफूज जगह थी मेरे लिए।

बिना कुछ मांगे ही इतना कुछ मिलना मन को खटक ही जाता है। कई बार ,

कमजोर नहीं थी मैं , लेकिन तुम्हारे अहसासों ने कमजोर बना दिया मुझे।

हमेशा लगने लगा था।

तुम हो मेरे पास क्या गलत सोचा मैंने ?

कितनी आसानी से कहा था।

तुमने एक दिन

……’मैंने कोई वादा नहीं किया।’

कभी सोच कर देखा …….

कितने भारी शब्द हैं ये,

उस इंसान के लिए

जो तुम्हारे भरोसे अपना सब कुछ भूल आया हो।

मुझे तो पता ही नहीं था।

प्यार करने से पहले कसमें – वादें  लेने जरूरी होते हैं।

वरना मैं भी पूछ लेती तुमसे ……

मेरी जो थोड़ी सी खुशियां बाकी है,

उन्हें बर्बाद करने का एहसान करोगे। क्या ?

मेरी आंखों की तमाम उम्र की नमी बनोगे क्या ?

जिंदगी में मैंने कभी किसी पर भरोसा ही नहीं किया।

तुम भरोसा जीत कर मेरा मुझे छलोगे क्या?

बताओ ना मुझे……

मैं भी तुम्हारी खामोशी को तुम्हारी ‘हां’ ही समझ लूं  क्या?

तुम्हारे पास तो हज़ारों वजह हो सकती थी अपना दिल बहलाने की ।

मगर मैंने तो बड़ी मुश्किल से मनाया था मेरे दिल को

फिर से जीने के लिए।

शुक्रिया तेरा…..

मेरा वह दिल तोड़ कर जाने के लिए ।

सुनो…….

यह सब एक बार मेरी आंखों में देख कर कभी कह पाओगे क्या?

हाँ, मैं वही हूँ
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Author

अनिता रोहल मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं।उनके पति और बेटे में ही उनकी पूरी दुनिया बसती है। किताबें, कहानियां पढ़ने की शौकीन अनिता को धीरे-धीरे कविता,कहानियाँ लिखने में भी रुचि हो गयी। आज अपने इसी शौक के चलते वो एक उभरती हुई लेखिका हैं।

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Swati gupta
Swati gupta
3 years ago

Tum ruthe nai the… badal gye the..

Anand Agarwal
Admin
3 years ago

Hmm, hmari ankhe dekh nahi paye ki .. haan tum sach me badal gye the..

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