कहे अनकहे किस्से कहानी

यह जो होते हैं किस्से कहानी  कभी सोचा है, तुमने कहां से आते होंगे? क्यों पढने लगते हैं इन्हें हम इस कदर ?इन में खोकर समझने लगते हैं।

जाने अनजाने खुद को इनका हिस्सा ये हमेशा हमारी जिंदगी में शामिल तो रहते हैं, लेकिन इनके भाव अलग होते हैं।

तुम्हें याद है पहली बार अपना स्कूल जाना टीचर का poem, story सुना कर मन बहलाना। धीरे-धीरे जब हम बड़े होते हैं तो यह सब काफी हद तक हम में शामिल हो जाते हैं। हम सीखने लगते हैं। खुद को शब्दों में ढालना और बनाने लगते हैं। खुद भी धीरे-धीरे किस्से और कहानियां, कभी दर्द में डूबे गीत तो कभी गम के समंदर में डूबी शायरियां, बन जाते हैं।

खुद ही इनका किरदार हम और निभाने लगते हैं इन में छुपे कहे अनकहे  भावों को कभी रोकर कभी हंस कर कभी गा कर पढने लगते हैं।

हम मन के भावों को बनाकर किस्से कहानियां।

कहे अनकहे किस्से कहानी

कुछ नया

हां, भूल तो गई हूं.. 😓 🙁  फिर भी जाने कहां से याद आ जाते हो तुम? जब भी किसी पेड़ पर कोई नई कली खिलती है, मैं बेचैन हो जाती हूं तुम्हें बताने को। जब जब उदास  होता है दिल मचल  जाया करता है अक्सर तुम्हारे पास आने को। गीले बालों को लेकर जब
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मुहब्बत का असली मज़ा 😍 😘 वो भी क्या इत्तेफाक है ।। मिलने से ज्यादा कशिश मिलने की ख्वाहिश में है ।। आंसुओ की कीमत खामोशी से ज्यादा नुमाइश मे है ... बेबस हो जाता है इश्क सजदे में उसके ... वर्ना मुहब्बत का असली मज़ा से इश्क़-ए-आजमिश में है ...
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क्यूंकि किसी को बंधन रास आ गया.. 😷 🙎 तेरे पिन कोड का नंबर  अब मेरा हो गया। तेरी बिजली का जो बिल  है, वह मेरा हो गया। जाने कितनी अजीब अजीब  तरह से तरोड मरोड़ कर कोई यह लाईने रोज गुनगुनाया करता था । गाना तो इतना भी खूबसूरत नहीं था मगर उसके गुनगुनाने 
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संघर्ष की वेदी पर हम फहरा रहे तिरंगा हैं!.. 🙇 🙃 वो मुट्ठी  भर जुनूनी लोग थे…जो लाखों  मे बदल गये, आज़ादी की खातिर मौत  के अंगारों  पर चल गये! कई साँसो की आहुतियों  पर हम आज ज़िंदा  हैं, कईयों  के संघर्ष की वेदी पर हम फहरा रहे तिरंगा  हैं! आज भी सरहद पर हमारे
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कितने आंसू बहे होंगे.. 😥 😞 कलेजा  जैसे फट गया होगा.. जब गोद  में खेलने वाला बन लाश.. छाती पर गिर गया होगा, कैसे छुपाया  होगा उसने आंचल में चेहरा जिस मां का सपूत टुकड़ों  में आया होगा। कैसे संभाला होगा उस परिवार  ने खुद को जिसका एक सहारा  भी तिरंगे में लिपट  कर आया
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आँगन की दो चिड़िया.. 😊 🙃 एक आँगन की दो चिड़िया एक दिन जिन्हे उड़ जाना है अपने अपने  घर जाकर उन्हें एक नया जहाँ बसाना है जिस बाबुल के घर में बचपन  बीता वो एक दिन पराया हो जाना है जिस माँ के आँचल  को ओढ़ के बड़ी हुई वो एक दिन दूर  हो
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शायद तेरी कमी रह गई.. 😓 🙁 सब साथी  मेरे साथ यहां.. है वक्त नही मेरे पास यहाँ.. पर याद  तेरी तनहा कर गई.. शायद तेरी कमी रह गई || तुझे याद  नहीं कोई भी पल.. या फुर्सत नही एक पल  की.. पर सब में मझे तू याद है.. शायद तेरी कमी रह गई ||
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हमारी सहिष्णुता हमारी कमजोरी नहीं.. 🙄 💪 हमारी सदभावना हमारी कायरता  नहीं। जो अंधे  हो चुके हैं वो अब भी समझ लें, हमारी चुप्पी हमारी मजबूरी  नहीं। तुमसे पहले थे तुम्हारे बाद तक हम ही रहेंगे, वक़्त  में इतिहास के पन्नों में हम नहीं छिपेंगे। क्या समझते हो कि तुम षडयंत्र  यूँ करते रहोगे? और
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बड़ा अजीब सा किस्सा है.. मेरा सांवरे से मिलन का 😥 😍 अचानक ही संदेशा भेजा था.. उसने मिलन का.. मुझे तो कभी ख्याल तक ना आया था.. वृंदावन  जाने का, मगर उस का पैगाम था तुरंत ही आने का.. बेपरवाह सी होकर मैं कृष्ण की नगरी में भटक रही थी। कृष्ण राधा  के प्रेम
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