क्या तुम वही हो ……..
मेरे हर सवाल का जवाब तुम हो। हां, …..यही तो कहा था उसने बस फर्क इतना था, उस वक्त मैं उसकी आंखें तो नहीं देख पाई, मगर सुनकर ऐसा लगा जैसे किसी ने अपने सारे एहसासों को समेटकर कर उन शब्दों को कहा था।
मैं सोचती रही थी उन सवालों के जवाब जिसके हर जवाब में उसने मेरा शामिल होना कहा था। बहुत ज्यादा नहीं जानती थी उसे मैं, मगर जितना भी जाना वह अलग सा लगा था। जाने किस बात पर गुस्सा हो जाए। किस बात पर चिढ़ जाए। उसका हर अंदाज अच्छा लगा था। कितने कहे अनकहे एहसासों को उसके शब्दों में महसूस किया था।
उसका दिया नाम मुझे अतीत में खींच ले गया था। मैं समझ ही नहीं पा रही थी कुछ भी, मगर वह हर दिन बहुत करीब आता गया था। दिन भर मैसेज और हर किसी बात में ऐसा लगना है जैसे उसने मुंह बना लिया है। सबको पता है वैसे मेरी आदतें नहीं पसंद है। मुझे सॉरी कहना सुनना, लेकिन जाने क्यों उसे मनाना मुझे अच्छा लगने लगा था।
ना चाहते हुए भी वो, मेरे दिन का हिस्सा बनने लगा था। उसकी चहती रूठती आवाज हर अंदाज महसूस होने लगा था।
हां …..जाने क्यों रिश्तो का फिर से एतबार होने लगा था?
मगर नजर लग जाती है खुशियों को और मेरे साथ तो हमेशा यही हुआ था। उसे जाने क्या हुआ था। वह उलझन में था। कुछ परेशान भी था। इतना तो मुझे पता था लेकिन जाने क्या हुआ। अचानक से बदला सा लगा था,
ऐसा नहीं है। मुझे कोई धोखा हुआ था। और वैसे भी जब दिल महसूस करता है ना एहसासों को तो हर बात महसूस करता है।
बस इसी सोच में हूं मैं अब तक,
ऐसा क्या हुआ होगा?
क्या मेरी खता थी कोई या
फिर उसके इस सवाल का जवाब भी मैं थी या फिर कुछ और बात थी।