अपनी भी कहानी है.. 🙂 🙃

कुछ क़ैद परिंदों सी अपनी भी कहानी है,
ज़िन्दगी संग हार – जीत हमने भी ठानी है।

 

आज़ाद आसमां के उस रब से मिलना है,
कुछ उसकी भी सुननी है ,
कुछ अपनी सुनानी है।

 

आंखों के तजुर्बे का हमने ना हुनर जाना,
दिल खुश हो या टूटा हो
आँखों मे बस पानी है।

 

कुछ भीड़ है लोगों की जानी पहचानी है,
दिखते तो सब अपने हैं फिर भी ..
सूरत क्यों बेगानी है।

#कहानी #लेखनी

कहे अनकहे - Kahe Ankahe

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Author

गरिमा शुक्ला "लेखनी" इसकी सक्रिय लेखिका होने के साथ इसका Talent management भी manage करती हैं। पेशे से Engineer, गरिमा की साहित्य में काफी रुचि है,कला क्षेत्र से उनका जुड़ाव उन्हें लेखन की ओर ले गया और उन्होंने ब्लॉग के रूप में अपने भावों को प्रस्तुत करने तथा इसमें और लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया|

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