कहे अनकहे किस्से कहानी

यह जो होते हैं किस्से कहानी  कभी सोचा है, तुमने कहां से आते होंगे? क्यों पढने लगते हैं इन्हें हम इस कदर ?इन में खोकर समझने लगते हैं।

जाने अनजाने खुद को इनका हिस्सा ये हमेशा हमारी जिंदगी में शामिल तो रहते हैं, लेकिन इनके भाव अलग होते हैं।

तुम्हें याद है पहली बार अपना स्कूल जाना टीचर का poem, story सुना कर मन बहलाना। धीरे-धीरे जब हम बड़े होते हैं तो यह सब काफी हद तक हम में शामिल हो जाते हैं। हम सीखने लगते हैं। खुद को शब्दों में ढालना और बनाने लगते हैं। खुद भी धीरे-धीरे किस्से और कहानियां, कभी दर्द में डूबे गीत तो कभी गम के समंदर में डूबी शायरियां, बन जाते हैं।

खुद ही इनका किरदार हम और निभाने लगते हैं इन में छुपे कहे अनकहे  भावों को कभी रोकर कभी हंस कर कभी गा कर पढने लगते हैं।

हम मन के भावों को बनाकर किस्से कहानियां।

कहे अनकहे किस्से कहानी

कुछ नया

एक लड़का है अंजाना सा, थोड़ा अल्हड़ सा मस्ताना सा। बात-बात में वो रुठे हैं, मुझे लगे थोड़ा दीवाना सा। अक्सर करता है बातें , बड़ी शौखी से । तो लगे मुझे वो, मौसम कोई सुहाना सा। लिखता है। हर रोज एक नई गजल मोहब्बत पर, सुनाने बैठता है फिर , जैसे शमां पर मरे
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उसने जब भी चाहा... अपने ही ख्याल से माना मुझे ......कभी पूनम तो कभी अमावस की रात माना मुझे कभी पूछी ही नहीं मुझसे चाहत मेरी बस अपने हिसाब से हर बार आजमाया मुझे।
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दिसंबर की वो सर्द सी दोपहर, क्या याद है आपको? वो घबराहट, वो खामोशी, वो प्यार, जैसे सब कुछ एक ही पल में सिमट सा गया था। जब आपकी नर्म हथेली को मेरे हाथ ने छुआ था। एक पल को सांसें जैसे थम सी गई थी, ऐसा अहसास कहां पहले कभी हुआ था। धड़कनों ने
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