मैं तलाश में हूं जिंदगी की…
आँख मिचौली करती है।
कभी ना रूबरू मिलती है।
मैं भागती हूं रोज इसके पीछे
यह सौ कदम आगे चलती है।
कभी छांव तो कभी धूप सी जलती है।
हजार तमन्नाएं मेरी इसे देखकर मचलती हैं ।
यह जो जिंदगी है,
कभी पानी सी कभी रेत सी हाथों से फिसलती है।
कभी छोड़ देती हाथ तो,
कभी बनकर साया साथ मेरे चलती है।
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[…] दूर लंबा एक सफर तय करना था। सभी ट्रेन पकड़ने के लिए […]