सिक्के के दो पहलू. 😌 😌
निर्बाध लक्ष्य हो तो लक्ष्य कैसा?
गर ना विपक्ष हो तो पक्ष कैसा?
विषमताएं ना हों तो समता क्या?
कुछ अक्षम ना हो तो क्षमता क्या?
हर सिक्के के दो पहलू हैं,
कुछ कहीं कठिन कुछ कहीं सरल,
गर संजीवनी जीवनदायक, तो मारक है हलाहल,
गर इनमें से एक ना हो तो दूजे की महत्ता क्या?
कठिन डगर है कंटक पथ है,
ये जीवन पथरीला है,
पार इन्हें कर, हिम्मत वाले.… यही तो जीवन लीला है,
गर ये पंथ कठोर ना हो तो जीवन की आवश्यकता क्या?✍️……..
#जीवनसार #दर्शाती #लेखनी