नज़र नहीं आती.. 😌 😌

जो मेरे हैं, वो मेरे होने का दावा तो करते हैं,
मगर जाने क्यों उन दावों में सच्चाई नज़र नहीं आती

वो कहते हैं, वो चलते साथ …सायों की तरह मेरे,
मगर जाने क्यों ढूँढे तो, उनकी परछाई नज़र नहीं आती।

यूँ तो कहने को चारों ओर एक दरिया दिल दुनिया है,
मगर जाने क्यों जब झाँको तो गहराई नज़र नहीं आती।

वो भी क्या लोग थे जो बन्दगी मे जान देते थे,
आज तो बन्दगी में भी ख़ुदाई नज़र नहीं आती

#खोखले #दावे #परखती #लेखनी

नज़र नहीं आतीहाँ, मैं वही हूँ

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Author

गरिमा शुक्ला "लेखनी" इसकी सक्रिय लेखिका होने के साथ इसका Talent management भी manage करती हैं। पेशे से Engineer, गरिमा की साहित्य में काफी रुचि है,कला क्षेत्र से उनका जुड़ाव उन्हें लेखन की ओर ले गया और उन्होंने ब्लॉग के रूप में अपने भावों को प्रस्तुत करने तथा इसमें और लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया|

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