जाने कैसा होगा वो लम्हा 🙂 🙃
मैं सोचती हूं अक्सर……
सुनाओगे कभी जो अपनी कहानी,
तो कैसा वह लम्हा आएगा
तेरी कहानी के जिस हिस्से में मेरा नाम आएगा
उसे छुपा लोगे तुम सीने में या
यूं ही बेखुदी में तेरे मुंह से
मेरा नाम निकल जाएगा
गुम हो जाओगे बीते लम्हों की यादों में कहीं
या आंखों की कोर तक आकर कोई आंसू ठहर जाएगा
बेचैन हो जाओगे फिर से क्या याद करके
वह पहली मुलाकात या
फिर से यह तेरा दिल यूं ही बेरुखी से मुकर जाएगा
जाने कैसा होगा वो लम्हा
जो आखिरी बार तेरे होठों पर मेरा नाम लाएगा