हाँ, मैं वही हूँ 😊 😟
मन के अंदेशे, हमें दूर बहुत दूर जाने कहां- कहां तक ले जाते हैं।
यही तो हो रहा था। पिछले कई दिनों से मेरे साथ भी.. सुबह बात हुई उससे, तो उसका लापरवाह सा अंदाज और भी बेचैन कर गया था।
जब मन में बेचैनी हो तो किसी भी काम में मन कहां लगता है, किया था वादा उसने शाम को बात करने का..
मगर शाम…. हम्म…. शाम तो जैसे आना ही भूल गई थी।
थकान, झुंझलाहट, तनाव सब कुछ छलक रहा था। उसकी आवाज में, आवाज सुनी तो पल में वह इकट्ठे किए हजारों शिकवे भूल गई थी मैं।
यह .…सॉरी …भी कितना अजीब होता है ना।
इतने सारे जख्मों पर एक ही शब्द मरहम का काम कर जाता है। मीलों दूर लंबी दूरियों से आती हुई उसकी आवाज करीब बहुत करीब महसूस हो रही थी।
एक पल को लगा कहीं मैं ही तो गलत नहीं थी, लेकिन ऐसा भी क्या बताना चाहिए ना, नहीं बताओगे तो सामने वाले को पता कैसे चलेगा,
लेकिन जो भी था उसका सॉरी तो नहीं उसके चेहरे पर मुस्कान जरूर चाहिए थी। जाने कौन सा एहसास था जो बिना किसी डोर के। मुझे उसकी तरफ खींचे जा रहा था।
…….’तुम मुझे अच्छे लगते हो’..
के जवाब में वह …..’कब तक अच्छा लगूंगा पूछ रहा था।’…
कैसे कहूं …. उसे इस सवाल का जवाब तो मैं तुम्हें देना ही नहीं चाहती।
काश कभी ऐसा हो ही नहीं जो इस सवाल का जवाब देना पड़े।
जाने कौन सा अहसास था जो बिना किसी डोर मुझे उसकी तरफ खींचता जा रहा था। वो अजनबी अपना सा होता जा रहा था । उसके कहे वह शब्द …….
.’मेरे हर सवाल का जवाब तुम हो’…..
जैसे वह फिर से दोहरा रहा था। दूर बहुत दूर बैठा वो जैसे मुझे बाहों में लेकर सीने से लगा रहा था और कह रहा था।
……हां, मैं वही हूं