हाल-ए- दासता 😕 😖

युवाओ का दिया
बेरोजगारों की थाली
मीडिया को तो लगी पड़ी है,
‘रिया ,सुशान्त और कंगना की बीमारी

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले उस स्तम्भ के पास वर्तमान समय में कुछ चुनिंदा मुद्दे ही बचे है. जिन्हे वे मदारी के डमरू की भाँति रिसा-रिसाकर दशको का मनोरंजन लिया करते हैं

खैर मै तो वैसे भी इस प्रकार के न्यूज़ चैनलों का पूर्णतः बहिष्कार करता हूँ, वास्तव में यदि आप जानना चाहते है कि देश -विदेश में क्या घटित हो रहा है, यह जानने की इच्छा यदि आप रखते है, तो एक सलाह दंगा कि YouTube पर रोजाना अनेको अनेक Teachers Daily wount Affairs सिर्फ पढ़ाते ही नहीं बल्कि उस News से Related अधिकतम ज्ञान साझा करते है,

उनका session देख लिया करे, News साथ-साथ आपकी G.S भी तैयार हो जायेगी इसी बहाने ।

खैर छोड़िये अभी कुछ दिन पहले एक डिबेट देख रहा था जिसमें अग्निहोत्री सर के द्वारा कह पम्तियाँ बोली गयी जो मेरे हृदय को छू गयी..
आज लिखते समय याद आ गयी तो सोचा आपके समक्ष साक्षा भी क़र दूँ ,

अग्निहोत्री सर कहते है कि :

जिनका पेट भरा होता है,
उसके लिए मुद्दे अनेक हो सकते है
लेकिन एक गरीब के लिए
एक युवा के लिए..

एक बेरोजगार के लिए..

दुनिया का पहला और अन्तिम मुद्दा..

उसकी थाली,रोटी और उसका रोजगार होता है ।

किसान का पहला और अन्तिम प्यार..

उसका पहला स्वाभिमान अन्तिम आत्म सम्मान..

उसकी जमीन रोटी है,

उसके लिए बाकि के दुनिया के हिस्से..

कहानी गौण है-२
जनाब

हाँ, मैं वही हूँ

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