बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो… 😕 😖

तनख्वाह बाँट नहीं सकते बड़े आये दर्द बाँटने वाले,
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

80 हज़ार  रुपया महीना खुद तो कमा रहे हैं ये,
दारू और सिगरेट  में धड़ल्ले से उड़ा रहे हैं ये।
रोटियों को तोल रहे पिज़्ज़ा खाने वाले,
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

सायं-सायं करके ,मोटरसाइकिलें  दौड़ाते हैं,
कार किये बिना ,किसी ट्रिप पर नहीं जाते हैं।
सरकारी बसों  की शिकायत कर रहे महँगी कार वाले,
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

GDP का ज्ञान नहीं, इनका विज्ञान भी सामान्य नहीं,
गूगल मैप  बिना , ढूंढ सकते एक मकान नहीं।
ज्ञान की बात कर रहे हैं खुद हैं आधे ज्ञान वाले,
बेरोजगारी  पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

दर्द बेरोजगार का ये कैसे समझ पाएंगे,
खुद की खुंदक के लिये बस एजेंडा ही चलाएंगे।
पार्ट टाइम नेता  बने ,ये ट्विटर,इंस्टाग्राम वाले,
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

मुँह छिपा के ये ही लोग बेरोजगारों पर मुस्कराते हैं
क्यों कोई बेरोजगार है ये इंडिरेक्टली बताते हैं
सावधान दोस्तों ये साँप है दोमुँह वाले
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले

सुनो अब एक बात ,अब ये नेतागिरी बन्द करो
अपनी नौकरी जो चल रही है उस पर ध्यान दो।
हम रास्ता ढूंढ लेंगे , हम है मेहनत करने वाले,
बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं देखो अच्छी जॉब वाले।

हाँ, मैं वही हूँ

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Author

गरिमा शुक्ला "लेखनी" इसकी सक्रिय लेखिका होने के साथ इसका Talent management भी manage करती हैं। पेशे से Engineer, गरिमा की साहित्य में काफी रुचि है,कला क्षेत्र से उनका जुड़ाव उन्हें लेखन की ओर ले गया और उन्होंने ब्लॉग के रूप में अपने भावों को प्रस्तुत करने तथा इसमें और लोगों को भी जोड़ने का प्रयास किया|

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Abhishek
Abhishek
4 years ago

Sach m bhoot sunder lekhni hai Aap ki

Anand Agarwal
Admin
4 years ago
Reply to  Abhishek

Thank you Abhishek:)

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