बड़ा अजीब सा किस्सा है.. मेरा सांवरे से मिलन का 😥 😍
अचानक ही संदेशा भेजा था.. उसने मिलन का..
मुझे तो कभी ख्याल तक ना आया था.. वृंदावन जाने का,
मगर उस का पैगाम था तुरंत ही आने का..
बेपरवाह सी होकर मैं कृष्ण की नगरी में भटक रही थी।
कृष्ण राधा के प्रेम को यूं ही समझ रही थी।
मगर यूं ही.. तो बेवजह उसने मुझे बुलाया ना था।
मेरे हिस्से के कृष्ण से मुझे मिलाना जो था।
यह रोग प्रेम का मुझे भी लगाना तो था।
प्रेम की पीड़ा का तो एहसास मुझे मुद्दतों से था।
फिर क्यों सांवरे तूने मुझे राधा बनाना चुना था
इस विरह वेदना को मैं रोज सहा करती हूं।
कभी राधा सी दीवानी कभी मीरा सी जोगन बना करती हूं।
होकर रूबरू तुझसे भी शिकायतें कहाँ करती हूँ ।
तेरी आँखों की खामोशी में हर जवाब पढ लिया करती हूँ ।
तु मिलेगा किसी जन्म में..
बनके मनमीत मेरा..
इक इसी उम्मीद में..
खुद को हौसला रोज दिया करती हूँ ।