आँगन की दो चिड़िया.. 😊 🙃

एक आँगन की दो चिड़िया
एक दिन जिन्हे उड़ जाना है

अपने अपने  घर जाकर
उन्हें एक नया जहाँ बसाना है

जिस बाबुल के घर में बचपन  बीता
वो एक दिन पराया हो जाना है

जिस माँ के आँचल  को ओढ़ के बड़ी हुई
वो एक दिन दूर  हो जाना है

बचपन  के खेल खिलोने  को भूल कर
जिम्मेदारियो  को निभाना है

पापा की परियो  को अब जिद करना छोड़
बस हाँ में सर ही हिलाना है

ससुराल  की भाग-दौड़ में
बस पीहर ही आराम  करने का ठिकाना है

साथ खेली, साथ बचपन  बीता
एक दिन उन दोनों चिडिओ  को अलग हो जाना है

अपने अपने घर जाकर
उन्हें एक नया  जहाँ बसाना है

हाँ, मैं वही हूँ

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Author

एक MNC में Software Developer के पद पर काम कर रहीं स्वाति अग्रवाल को साहित्य का बेहद शौक है। अपने एहसासों को पन्नों पर उतरना उन्हें बहुत पसंद है। उनका मानना है कि शब्द हमें बिना बोले एक दूसरे से जोड़ते हैं तो क्यों ना इन्हें और लोगों के पास भी पँहुचाया जाए। लिखने के साथ-साथ शब्दों को अपना स्वर देना भी स्वाति को बेहद पसंद है। कविताओं को पढ़ने का उनका अंदाज़ ही उन्हें और उम्दा लिखने के लिये प्रेरित करता है,

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