ये जो जिंदगी है.. 🙂 🙃
आंख मिचौली करती है ।
कभी ना रूबरू मिलती है ।
मैं भागती हूं रोज इसके पीछे
ये सौ कदम आगे चलती है।
कभी छांव , तो कभी धूप सी जलती है ।
हजार तमन्नाएं मेरी, इसे देखकर मचलती हैं ।
ये जो जिंदगी है ।
कभी पानी सी तो कभी रेत सी
हाथों से फिसलती है।
कभी छोड़ देती है हाथ तो,
कभी बनकर साया साथ मेरे चलती है।
ये जो जिंदगी है ।