काश…. तुम्हें भी चेहरे पढ़ना आता.. 🙂 😟
मन के अन्तर्द्वन्द्व और मनोभाव समझना आता,
तुमको जीत दिला तो दी,
पर हम खुद से ही हार गए।
तेरी खुशियों की राहों में,
अपनी खुशियाँ वार गए।
हार-जीत के इस अन्तर को तुम्हे परखना आता।
काश…. तुम्हे भी चेहरे पढ़ना आता।
एहसासों से भी तुमने ,
जाने कैसी कर ली दूरी
मैं तो हूँ पर कहीं नहीं हम ,
टूटी है आस अधूरी।
काश… अधूरेपन का कारण तुम्हें समझना आता।
काश…. तुम्हे भी चेहरे पढ़ना आता।
मुझे अकेला कर के ,
तुमने मुझको चकनाचूर किया।
क्या सोंचा था,क्या चाहा था,
जो मुझको यूँ दूर किया।
दूरी और तन्हाई की सीमा तय करना आता।
काश…. तुम्हें भी चेहरे पढ़ना आता।
#ख़यालों #का #टुकड़ा #लेखनी