बीस साल बाद ….👩 👨 पार्ट – 3

हां चलो….. बड़ी दूर गहराईयों से आवाज आती महसूस हुई थी उसकी। जैसे वापस ही न जाना चाहता हो। चाहकर भी नहीं पूछ सकी थी नेहा उससे उसने उसे क्यों रोका था?

क्या था क्या नहीं ? अचानक ही उसने नेहा को देखा और पूछा.. ‘तु खुश है तुझे मिला वह सब जो तुझे चाहिए था।’ सन्न रह गई थी नेहा उसका यह सवाल सुनकर, उसका चेहरा देखकर यह कैसा सवाल था?

क्या वह जानते थे एक दूसरे को इतना, जो ऐसा सवाल पूछ रहा था?

क्यों यह क्यों पूछा …..बस यूं ही ऐसे कौन किसी से यूं ही पूछता  है? जवाब नहीं दे पाई थी नेहा उसके इस अजीब सवाल का।

उसके चेहरे पर उभरती हजारों शिकनें , दिल में छुपी सालों की चुभन  जैसे शब्दों का रूप ले चुकी थी और नेहा जैसे उसके कानों में तो कोई पिघलता हुआ शीशा डाल रहा था।

वह सुना रहा था और हल्का कर चुका था अपने दिल को। मगर नेहा जैसे कोई बुत बन गई थी ।

क्या उसे उन गलतियों की सजा दी गई जो उसने कभी सोची तक नहीं थी? क्या किसी और की खुशी के लिए उसे कुर्बान कर दिया गया था।

इन बीस सालों में उसने तो कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था। शादी के बाद खुद को भूल गई थी। जाने कहाँ छोड आई थी वो उस नेहा को जो हर बात पर डिबेट करती थी ।

जो दूसरों के हक के लिए लड़ने वाली थी। अब तो वह एक ऐसी लड़की थी जिसने खुद के सब हक छोडकर हालात में ढलना सीख लिया था। सीख लिया था।

हक छोड़ना ….खामोश रहना।

फिर क्यों उस समुंदर जैसा शौर आज बीस साल बाद  उसने उसके दिल में भर दिया। वह चाहती थी। उसे पकड़कर झिंझोड़ कर पूछे ….

मुझसे तो पूछा होता कभी?  मगर कैसे पूछती उससे उसके पास तो शायद उसके इस सवाल का भी कोई जवाब ना होता?

कितना दर्द कितने आंसू आज समुंदर के साथ बहते जा रहे थे। कैसा सैलाब उमड़ा था ? एक ऐसा सैलाब जिसे कोई देख ही नहीं पाया।

उसके चेहरे पर तो एक ऐसा सन्नाटा था जैसे समुद्र में तूफान आने के बाद चारों तरफ हो जाता है।

और नेहा …...नेहा का दिल बार-बार समुद्र में उठते भंवर के जैसा हो रहा था जो हजारों कोशिशों के बाद भी शांत नहीं हो रहा था ।

रोना चाहती थी वो आज चीख चीख करपूछना चाहती थी उससे ….क्या ये मेरी खता  थी? मगर उसके चेहरे पर बिखरा सन्नाटा  उसे और भी रूला रहा था ।

वापस चल दिये थे दोनों उस किनारे  पर बहुत कुछ छोडकर । दूरियां कैसी होती हैं ? उनकी तडप कैसी होती है

आज महसूस हो रही थी नेहा को समुंद्र की गहराई का अंदाजा हो रहा था

उस दुखन के साथ होटल वापस आकर वो चहकती नेहा अब खामोश हो चुकी थी ।….

पहला पार्ट यहां पढ़े

दूसरा पार्ट यहां पढ़े

पसंद आया? .. अगला पार्ट जल्दी आएगा

हाँ, मैं वही हूँ

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Author

अनिता रोहल मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं।उनके पति और बेटे में ही उनकी पूरी दुनिया बसती है। किताबें, कहानियां पढ़ने की शौकीन अनिता को धीरे-धीरे कविता,कहानियाँ लिखने में भी रुचि हो गयी। आज अपने इसी शौक के चलते वो एक उभरती हुई लेखिका हैं।

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