कविता

जाने कितने ही लम्हें.. 🙆 🙎

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जाने कितने ही लम्हें.. 🙆 🙎

सोचकर देखें मैंने जाने कितने ही लम्हें
मगर याद नहीं आए वो पल कि…..
कब मैं सुकून से सोई थी।

आंखें तो भीग जाती हैं यूं भी अक्सर
मगर याद नहीं है वो खुशी
जिसमें मैं….. मुस्कुरा के रोई थी

कहे अनकहे - Kahe Ankahe

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Anita Rohal

अनिता रोहल मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं।उनके पति और बेटे में ही उनकी पूरी दुनिया बसती है। किताबें, कहानियां पढ़ने की शौकीन अनिता को धीरे-धीरे कविता,कहानियाँ लिखने में भी रुचि हो गयी। आज अपने इसी शौक के चलते वो एक उभरती हुई लेखिका हैं।

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