दिसंबर की वो सर्द सी दोपहर, क्या याद है आपको?
वो घबराहट, वो खामोशी, वो प्यार, जैसे सब कुछ एक ही पल में सिमट सा गया था।
जब आपकी नर्म हथेली को मेरे हाथ ने छुआ था।
एक पल को सांसें जैसे थम सी गई थी, ऐसा अहसास कहां पहले कभी हुआ था। धड़कनों ने जैसे सांसों को काबू किया हो, मेरी रूह ने ऐसे आपको महसूस किया था।
फिर आपका चूम लेना, जैसे कयामत सा हुआ था। बहुत खूबसूरत अहसास था वो,
जब आपने मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ था।
…….ये कोई गलती नहीं थी। हाँ दो रूहों को प्यार हुआ था🥰🥰