हाँ बहुत उदास हूँ मैं तेरे बिना…. 😐 🙃
हाँ, हूं उदास मैं तेरे बिना नहीं फर्क पड़ता,अब मुझे इस बात से, ये कहने से… के उदास हूँ मैं तेरे बिना नहीं समझ पाती हूँ मैं, मेरे मन को,
खो जाता है जाने कितनी दफा,ये तेरे खयालो में, तेरे अहसास, तेरी खुशबू वो हर बात जो तुने कही थी, आती है हर पल याद मुझे,
नहीं सह पाती हूँ मैं अब ये दूरियाँ, मचल जाता है मेरा मन….तुम्हे देखने को,तुम्हे सुनने को । कितनी बेबसी है मगर, नहीं हो पाती है एक भी ख्वाईश पूरी ।
नहीं माना है आज तक भी मेरा मन, तेरा बदल जाना, उलझ जाता है आज भी तेरी आँखों में ।
कितनी बार ढूंढने की कोशिश की मैंने, तेरी आँखों में वो सब कुछ , मगर सब खाली था, नहीं थी मैं कहीं भी, या शायद कभी थी ही नहीं मैं वहां ।
मगर ये सब कहाँ समझ पाता है मन। ये तो एक बार जिस राह निकले, बस निकल ही जाता है । कहाँ परवाह होती है इसे, किसी भी छोटे से ख्याल से बना लेता है खुद के लिए एक बडा सा सपना ….
जहाँ होते हैं बस मैं और तुम बिलकुल वैसे ही जैसे बैठे थे एक रोज हाथों में हाथ लिए सबसे बेखबर हाँ ..तुम …जो कभी होते ही नहीं हो। बस यही उदास कर जाता है मुझे हाँ …सच में बहुत उदास हूँ मैं तेरे बिना ।
नहीं समझा पाती हूँ मैं खुद को आज तक भी तेरा बदल जाना, तेरा मुकर जाना, इंकार कर देना हर उस अहसास से, जो तुने ही जगाया था मुझमें … नहीं भूल पाती हूँ मैं वो सब । कितने शौक से थामा था हाथ तुमने उस रोज खुद को तेरे भरोसे ही तो छोड़ दिया था मैंने बहुत मुश्किल से कर सकी थी वो ऐतबार मैं और तुम ….
तुमने वही किया जिससे डरता था मेरा मन हाँ हो जाती हूँ उदास अब सोचकर अपने टूटे उस भरोसे को याद करके तुम पर यूं ऐतबार करके
हाँ ….मगर हो जाती हूँ उदास आज भी ……तेरे बिना