बीस साल बाद ….👩 👨 पार्ट – 4 – आखिरी मुलाकात
होटल वापस लौट कर बहुत ही खामोश थी नेहा.. अगली सुबह वापसी की ट्रेन थी। बस वो एक आखरी मुलाकात और एक आखिरी सफर था जब शायद उसे आखिरी बार देखा था नेहा ने ।
बैठा रहा था, वह खामोश रात में उसी जगह उसके पास सुनसान गुजरती रात को देखता रहा। कुछ भी एक शब्द भी नहीं कहा था एक दूसरे से दोनों ने।
घर आकर महीनों तक नहीं संभाल सकी थी खुद को नेहा, रोज महसूस होने लगी थी। वह सजाएं ,उसे जो बिना वजह मिली थी । सहा तो उसने भी होगा।
मगर क्या जरूरी था इस मोड़ पर आकर बताना? कितना अच्छा होता वह मिला ही ना होता यूं दोबारा।
आज पहली बार खुदगर्ज बहुत खुदगर्ज हो गई थी नेहा, वह चाहता था वह उसे मिलने आए आखिरी बार जाते हुए मगर नहीं गई थी वह। वह करता रहा था। इंतजार घंटों तक मगर वह नहीं गई थी और वह चला गया शायद फिर कभी नहीं आने के लिए।
आते हैं साल में 3 मैसेज unknown नंबर से ‘हैप्पी न्यू ईयर’ ‘हैप्पी दिवाली’ .‘हैप्पी बर्थडे‘ जिनका नहीं नेहा ने आज तक कोई जवाब दिया था।
भूल जाना चाहती थी उसकी हर बात मगर वह है कि भूलता ही नहीं है शायद! कभी ना कोई फोन, ना कोई मैसेज ,ना सोशल मीडिया पर टच में होता है वह ।
मगर एक दिन फिर से जो हुआ नेहा के स्क्रीन पर एक लिंक show ओपन किया तो एक सॉन्ग था, ‘तेरे इश्क में मैं नीलाम हो जाऊं’ सुनकर आज फिर जाने कितने घंटों तक रोईं थी वो रोईं थी यह सोच कर क्यों मिल गया था वह?
जो लकीरों में कभी था ही नहीं, क्यों अपने हिस्से की भी दुखन दे गया था उसे,
ऐसा कौन करता है, क्यों खुद को क्यों उसको सजा दे रहा था वह इस मोड़ पर ?
बस आखिरी सफर था आखिरी मुलाकात उसके बाद बिछड़ गए थे दोनों हमेशा के लिए उस रोज …..
मगर करीब बहुत करीब भी थे शायद खामोशीयों में